डर के आगे जीत हैं



डर के आगे जीत है


लेखक: अयान कबीर


डर एक ऐसा रोग है, जो इंसान को जिंदा रहते हुए मार देता है।

दोस्तो,
डर हमारे शरीर में छिपा हुआ एक ऐसा अदृश्य रोग है, जो नज़र तो नहीं आता लेकिन हर फैसले, हर सपने और हर सफलता के रास्ते में दीवार बनकर खड़ा हो जाता है।

जितना ज़्यादा डरोगे, उतना ही कमज़ोर बनते जाओगे।
और हाँ, कोई इंसान जन्म से बहादुर या डरपोक नहीं होता — उसे उसकी परिस्थितियाँ बनाती हैं।


डर का सच क्या है?

मान लीजिए आपके इलाके में एक बड़ा गुंडा है, जिससे पूरा मोहल्ला डरता है।
आप भी उससे डरते हैं — यह कोई बहुत बड़ी बात नहीं।
लेकिन क्या ये डर सच्चा है?

अब सोचिए —
अगर वही गुंडा आपकी मां को थप्पड़ मार दे,
तब आप क्या करेंगे?
क्या डरकर भाग जाओगे?
नहीं!
आपके भीतर से कोई जानवर जाग जाएगा।
आप अपनी पूरी ताकत से लड़ पड़ोगे, चाहे जान भी चली जाए।

तो अब सोचो —
जो इंसान कुछ मिनट पहले तक डर रहा था, अब वही बहादुर कैसे बन गया?
क्योंकि अब उसके पास एक वजह (Reason) है —
अपनी मां की रक्षा।


डर तब तक ज़िंदा रहता है जब तक आपकी वजह कमजोर है।

हमारी नई पीढ़ी भी यही गलती कर रही है।
बड़े-बड़े सपने देखते हैं —
Actor बनना है, Doctor बनना है, Entrepreneur बनना है…

लेकिन जब करने का वक्त आता है,
तो डर सामने खड़ा हो जाता है।

क्यों?

क्योंकि उनके पास वजह पक्की नहीं है।
अगर वजह मजबूत हो, तो डर की कोई औकात नहीं।


Example – जिंदगी बचाने वाली वजह

मान लो, आपके पापा को साँस लेने में दिक्कत हो रही है।
घर में ऑक्सीजन खत्म हो गई है।
रात का वक्त है।
आप भागते हुए मेडिकल स्टोर जाते हो।

रास्ते में अचानक आपको कोई भूत दिखता है।

अब सवाल ये है —
क्या आप डर के मारे वापस घर आ जाओगे?
या अपने पापा को बचाने के लिए डर को मार दोगे?

आप डर को मार दोगे।
क्योंकि आपकी वजह है — पापा की जान।

इसलिए समझो,

"डर कभी ताकतवर नहीं होता,
आपकी वजह अगर मजबूत हो तो डर गायब हो जाता है।
"


इसलिए दुनिया कहती है — डर के आगे जीत है

  • जो डर को हराता है, वो ही जीतता है।
  • जो वजह को पकड़ता है, वही इतिहास रचता है।

तो करना क्या है?

  1. अपने हर काम के पीछे की वजह खोजो।
    – सिर्फ सपना नहीं, वजह होनी चाहिए।

  2. उस वजह को इतना मजबूत बनाओ,
    कि डर खुद आपके रास्ते से हट जाए।

  3. काम करते जाओ,
    बिना सोचे कि नतीजा क्या होगा।


अंतिम शब्द:

“डर सिर्फ एक विचार है —
वजह अगर दिल से निकली हो,
तो डर की जगह नहीं रहती।”

तो दोस्तो, अगली बार जब डर सामने खड़ा हो…
उससे कह देना —
“हट जा, मेरी वजह आ रही है!”


लेखक: अयान कबीर
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