सिर्फ एक चीक और बादल दो अपनी दुनिया
"बस एक चीख... और आप दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन सकते हैं!"
लेखक: अयान कबीर
दोस्तों, ज़िंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए सिर्फ एक 'चीख' की ज़रूरत होती है।
और अगर ये चीख दिल से निकली हो...
तो समझ लीजिए, उसी पल से आपके “बड़े इंसान” बनने की यात्रा शुरू हो चुकी है।
लेकिन सवाल ये उठता है —
ये चीख आएगी कैसे?
उसके लिए ज़िंदगी में कोई गहरा कारण, कोई गहरी चोट, कोई ताक़तवर वजह होनी चाहिए।
और अगर आपके पास कोई वजह ही नहीं है,
तो वो चीख कभी बाहर नहीं आएगी — और आप कभी भी बड़ा इंसान नहीं बन पाएंगे।
बहुत गंभीर बात है ना?
चलिए इस बात को एक कहानी के ज़रिए समझते हैं —
“चीख की कहानी”
एक गांव की सच्ची तस्वीर
एक गांव में एक गरीब परिवार रहता था —
परिवार में तीन लोग थे — मां, पिता और बेटा।
पिता एक फैक्ट्री में मज़दूरी करते थे।
मां एक साधारण गृहिणी थीं।
और बेटा कॉलेज में फाइनल ईयर का छात्र था।
लेकिन उस लड़के की ज़िंदगी में कोई लक्ष्य नहीं था।
दिनभर मोबाइल में लड़कियों से चैट करना ही उसका काम था।
पढ़ाई से कोई लगाव नहीं था।
एक दिन कॉलेज से घर लौटते समय,
उसने रास्ते में देखा — कुछ लोग एक आदमी को बेरहमी से पीट रहे हैं।
उस आदमी का चेहरा कपड़े से ढका हुआ था, इसलिए पहचान में नहीं आ रहा था।
उसने वहां खड़े एक व्यक्ति से पूछा —
"भाई, इसे क्यों मार रहे हो?"
तो जवाब मिला —
"इसने अपने बेटे की ट्यूशन फीस के लिए एडवांस पैसा मांगा था, और बोला था कि उसका बेटा भी एक दिन आप लोगों की तरह फैक्ट्री का मालिक बनेगा।
बस इसी बात पर इसे सबक सिखाया जा रहा है।"
पिता की टूटती आवाज़
रात को, जब वो लड़का दूसरे कमरे में लेटा था,
उसने अपने पिता को धीरे-धीरे रोते हुए अपनी मां से कहते सुना —
"आज मालिक ने मुझे बहुत मारा... मेरी गलती बस इतनी थी कि मैंने बेटे की फीस मांगी और कहा कि एक दिन मेरा बेटा भी मालिक बनेगा।
मुझे मार खाकर भी फर्क नहीं पड़ा —
पर मैं ठान चुका हूँ, किसी भी हालत में मुझे अपने बेटे को कंपनी का मालिक बनाना है।"
उस रात, वो लड़का बिस्तर में चुपचाप लेटा रहा...
उसने पिता की हर बात सुनी... और वो टूट गया।
उसके दिल से एक ज़ोर की चीख निकली —
ना कोई आवाज़, पर एक आंतरिक तूफान।
वो फूट-फूट कर रोया, और उसी पल उसने संकल्प ले लिया —
"मैं अपने पिता का सपना पूरा करके दिखाऊंगा...
मैं कंपनी का मालिक बनकर दिखाऊंगा।"
बदलाव की शुरुआत
अब वो लड़का दिन-रात पढ़ाई में जुट गया।
छह महीने तक उसने एक-एक पल की कीमत जानी।
फिर आया एग्जाम का वक्त...
और रिजल्ट के दिन वो पूरे राज्य में टॉप कर गया।
इंटरव्यू में जब उससे पूछा गया —
"आप तो पहले औसत छात्र थे, फिर ये चमत्कार कैसे हुआ?"
तो उसका जवाब था —
"मेरे पापा मुझे बड़ा आदमी बनते देखना चाहते थे,
इसलिए मैंने उनका सपना पूरा करने के लिए दिन-रात एक कर दिया।"
कुछ सालों बाद...
उसी लड़के ने दुनिया की टॉप कंपनी खड़ी कर दी।
अब बात आपकी है...
अब आप कहेंगे —
"ऐसी स्थिति तो हर किसी की नहीं होती, जिससे दिल से चीख निकले!"
तो सुनो दोस्तों —
स्थिति आती नहीं है, बनाई जाती है।
मान लो आप मेडिकल के छात्र हो —
तो सोचो, आपके माता-पिता ने आपको डॉक्टर बनाने का सपना देखा है।
क्या उन्होंने आपको मेडिकल पढ़ाने के लिए इतने त्याग किए हैं ताकि आप शादी करके घर बैठ जाओ?
नहीं।
वो चाहते हैं कि आप डॉक्टर बनो, लोगों की सेवा करो, परिवार का नाम रोशन करो।
अब आप सोचिए —
अगर आप ये सपना पूरा नहीं कर पाए, तो आपके माता-पिता को कितनी तकलीफ होगी।
सिर्फ उस एक पल की कल्पना करो... और देखना, आपके भीतर से भी वो चीख निकलेगी।
और याद रखो —
जिस दिन दिल से चीख निकल गई, समझ लो आप 50% मंज़िल पा चुके हो।
अब दुनिया की कोई ताकत आपको पीछे नहीं धकेल सकती।
अंत में बस इतना कहूँगा —
दिल से ऐसी स्थिति पैदा करो...
कि वो चीख खुद-ब-खुद निकल जाए।
और फिर देखना —
आप भी अपने माता-पिता के सपनों को सच कर पाओगे।
लेखक: अयान कबीर
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